नैनीताल। उत्तराखंड का इतिहास बताता है कि यहां के भविष्य को भी भूकंप के कारण बड़ा नुकसान झेलना पड़ सकता है। यह कहना है आइआइटी के विशेषज्ञाें की टीम का। मंगलवार को आइआइटी कानपुर से पहुंची वैज्ञानिकों की टीम ने नैनीताल जिले के रामनगर के नंदपुर गैबुआ गांव का निरीक्षण किया। इस दौरान उनहोंने 515 साल पहले यानी 1505 आए भूकंप के प्रमाण मिले। उनका कहना है कि इससे साबित हो गया है कि तब भूकंप का केंद्र यहीं आस पास रहा होगा। यहां भूकंप के तीन केंद्र मिलने का भी दावा किया जा रहा है। वैज्ञानिकों का यह भी कहना है कि यहां पर रिक्टर पैमाने पर सात या फिर साढ़े सात प्वाइंट का भूकंप आया होगा जिससे काफी तबाही मची होगी। 21 फरवरी को इस स्थान पर देश और विदेश के वैज्ञानिकों की एक और टीम भी जांच करने पहुंच रही है। आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिक प्रो. जावेद मलिक के नेतृत्व में आई भूगर्भ वैज्ञानिकों की टीम ने दस फुुट से अधिक गहरा गड्ढा खोदा। टीम ने ग्राउंड पैनीट्रेटिंग रडार (जीपीआर) के माध्यम से भी एक बार फिर से आठ मीटर तक जमीन की सतह को परखा। बारीकी से जांच पड़ताल की तो उन्हें भूकंप के प्रमाण मिले। प्रो. जावेद मलिक के अनुसार यहां भूकंप के तीन केंद्र बने हुए हैं, जिससे मिट्टी की सतह पूरी तरह से एक-दूसरे के ऊपर चढ़ी हुई है। इससे साबित होता है कि भूकंप से इस क्षेत्र में काफी नुकसान हुआ होगा।
उत्तराखंड में भूकंप से मच सकती है बड़ी तबाही